कोडंदरम, हरगोपाल जैसे नेता किसानों के विरोध मंच पर जाना ठीक नहीं - डोक्का
BREAKING
पंचकूला पुलिस में बड़े पैमाने पर तबादले; 11 SI-ASI सहित 63 पुलिसवाले इधर से उधर किए, CP के आदेश से यह फेरबदल ट्रेनों में मिलने वाले कंबल इतने दिनों में धुले जाते; रेल मंत्री के बयान ने सबको कर दिया हैरान, AC कोच के यात्री जरूर पढ़ लें यह खबर जिला अध्यक्ष राजकुमार वोहरा पहुंचे ठाकुर उमेश भाटी के निवास कार्यालय पर, भाजपा सदस्यता अभियान को लेकर हुई चर्चा दिसंबर में माननीय प्रधानमंत्री के चंडीगढ़ दौरे पर सुरक्षा सिद्धांतों के चलते जीएमसीएच ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने 23वें धरना एक हफ्ते के लिए किया स्थगित बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी के घर पर ED की रेड; Porn Films मामले में राज कुंद्रा पर एक्शन, मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही टीम

कोडंदरम, हरगोपाल जैसे नेता किसानों के विरोध मंच पर जाना ठीक नहीं - डोक्का

कोडंदरम

कोडंदरम, हरगोपाल जैसे नेता किसानों के विरोध मंच पर जाना ठीक नहीं - डोक्का

(अर्थ प्रकाश/ बोम्मा रेडड्डी )

 अमरावती :: (आंध्र प्रदेश )  एमएलसी डोक्का माणिक्य वरप्रसाद ने रविवार को यहां पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए, राजधानी के विरोध और समर्थन में चल रहे आंदोलन को आघात पहुंचाने के लिए 900 दिनों के आंदोलन को पूरा करने पर अमरावती किसानों के विरोध शिविर का दौरा करने के लिए प्रो. कोडंदरम और प्रो. हरगोपाल के साथ टीडीपी नेताओं ने गलत रास्ते में और गरीबों की जमीन पूंजीपतियों द्वारा खरीद वाने वाले रईसों द्वारा हड़पने बालों के समर्थन में जाकर इधर गरीबों के विरोध में बन रही राजधानी का समर्थन करवाने के लिए इनका उपयोग किया यह आरोप है ???
 और कहा कि उन्होंने तथ्यों को जाने बिना हरगोपाल और कोदडाराम जनसमस्याओं को और गरीबों के हित में हमेशा आवाज उठाते हैं इनको राजधानी के मामले में आने के पहले वहां की वस्तुस्थिति को जानना जरूरी था तब समर्थन नहीं दिए होते उन्हें धोखे में लाया गया।

 रविवार को यहां पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए, एमएलसी ने कहा कि पिछली सरकार में भूमि पूलिंग के दौरान दलित किसानों को धोखा दिया गया था और सवाल किया कि वे अमरावती को दलितों की राजधानी कैसे कह सकते हैं।  उन्होंने याद दिलाया कि कैसे कोडंदरम और हरगोपाल ने राजधानी क्षेत्र के किसानों की भूमि के संबंध में चंद्रबाबू नायडू की नीतियों का विरोध किया था।

 उन्होंने कहा कि कोडंदरम और हरगोपाल नायडू के जाल में फंस गए  और  सवाल किया कि वे नायडू और पवन कल्याण का समर्थन कैसे कर सकते हैं जिन्होंने बीआर अंबेडकर पर कोनसीमा का नाम बदलने के लिए अमलापुरम में आवाज के दौरान दलित मंत्री और बीसी विधायक के घरों पर हमले की निंदा नहीं की।

 उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन बुद्धिजीवियों ने किसी ऐसे व्यक्ति के साथ मंच साझा किया है जिसने गरीबों और दलितों को पदों की प्रमुखता देने के लिए प्रोत्साहित नहीं है। 

 उन्होंने राज्य में कमजोर वर्गों के लिए लागू की जा रही कल्याणकारी गतिविधियों को सूचीबद्ध किया और सवाल किया कि क्या ये बुद्धिजीवी देखने में सक्षम नहीं लगा।  उन्होंने कहा कि वे राज्य सरकार द्वारा राजधानी क्षेत्र के किसानों को दिए जा रहे लाभों को भी भूल गए होंगे।